आरंभ है प्रचंड,बोल मस्ताको के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बान शान या की जान का हो दान
आज एक धनुष के बान पे उतार दो
आरंभ है प्रचंड,बोले मस्ताको के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बान शान या की जान का हो दान
आज एक धनुष के बान पे उतार दो
आरंभ है प्रचंड~~~~~~~~~~~
मंन करे सो प्राण दे, जो मंन करे सो प्राण ले
वही तो एक सर्व शक्तिमान है
ईश्र की पुकार है ये भागवत का सार है
की युद्ध ही तो विर का प्रमाण है
कौरओ की भीड़ हो या पांडव का नीर हो
जो लड़ सका है वही तो महान है
जीत की हवस नही, किसी पे कोई वश नही
क्या ज़िंदगी है ठोकरो पे मार दो
मौत अंत है नही तो मौत से भी क्यू डरे?
यह जाके आसमान में दहाड़ दो
आरंभ है प्रचंड, बोले मस्ताको के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बान शान या की जान का हो दान
आज एक धनुष के बार्न पे उतार दो
आरंभ है प्रचंड~~~~~~~~~~
हो दया का भाव या की शौर्या का चुनाव
या की हार का वो घाव तुम ये सोच लो
या की पुर भाल भर जला रहे विजय का लाल
लाल ये गुलाल, तुम ये सोच लो
रंग केसरी हो या मृदंग केसरी हो या की
केसरी हो लाल तुम ये सोच लो.. .
जिस कवि की कल्पना में ज़िंदगी हो प्रेम गीत
उस कवि को आज तुम नकार दो
भीगति नस्सो में आज, फूलती रागो में आज
आज आग की लपट का तुम बघार दो
आरंभ है प्रचंड, बोले मस्ताको के झुंड
आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बान शान या की जान का हो दान
आज एक धनुष के बान पे उतार दो
आरंभ है प्रचंड......
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