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Wednesday, February 9, 2011
काय असते आठवण,....आती हो गली मे
काय असते आठवण,पाण्याचा ओलावा की अमृताचा गोडवा अश्रूंच्या धरा की झोंबनरा वारा पावसाच्या थंड गारा की हा खेळ भावनांचा.
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आती हो गली मे हीर की तरह
लगती हो मीठी खीर की तरह
आंखों मे चुभी हो तीर की तरह
पर अब समझ चुका हूं कि तुम मुझे,
भीख मंगवाओगी फकीर की तरह।
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